भारत का किसान एक साथ कई संघर्ष भरी समस्याओ से जुझ रहा है। सामाजिक - बाजारवादी - आर्थिक समस्याओं के साथ-साथ climate change का प्रभाव, भारतीय किसानों के निजी जिंदगी में हताशा पैदा करता है।
जमीन - समस्या, बहुत ही कम मुनाफा, आर्थिक संकट, सरकार की तरफ से आधारभूत संरचना का अभाव सहित विस्थापन के मुद्दे किसानों की कमर तोड़ने लिए काफी है, बल्कि यही किसान भारत की लगभग 145 करोड़ की जनसंख्या का पेट भरने में भूमिका भी निभा रहा है। इनसब में हमारी सास्कृतिक वैचारिक सम्पदा खत्म हो रही है, यह इस बात से पता लगाता है, कि युवाओं में या व्यवहारिक समाज में किसानी को एक असफल पेशे के रूप में बना दिया गया है। हम सब डाक्टर, इंजीनियरिंग, व्यापारी, शिक्षिक और कलाकार बनना चाहते हैं, मगर भारत के नेताओं की लालच भरी भूख ने किसानी एवं किसान-समाज को विकसित होने में कोई खास अभिरुचि नहीं रखी।
march, 2024
research & Photography - anant singh